भारतीय संविधान की अनुसूचियां


#प्रथम अनुसूची --
इस अनुसूची में भारत के 28  राज्य व 7  केंद्रशाषित प्रदेशो तथा राष्ट्रीय राजधानी छेत्र दिल्ली के बारे में उल्लेख किया गया है .
दिल्ली को राष्ट्रीय  राजधानी 69  वे संविधान संशोधन 1991 द्वारा घोसित किया गया था
#दूसरी अनुसूची --
इस अनुसूची में भारत के उच्च पदाधिकारियो  के वेतन तथा भत्तो का विवरण दिया गया है
इनका वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है
#तृतीय अनुसूची --
इसमें विभिन्न पदाधिकारियो के शपथ पत्रो का विवरण दिया गया है
#चतुर्थ अनुसूची --
राज्यो तथा केंद्र शाषित प्रदेशो के लिए राज्यसभा की सीटो का वितरण किया गया है
#पांचवी अनुसूची --
अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए अलग से विशेष प्रशाशन और नियंत्रण की व्यवस्था की गयी है
#छठवी अनुसूची --
भारत के पूर्वोत्तर राज्यो के लिए विशेष प्रबंध किये गए हैं
( पूर्वोत्तर राज्य - असम, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल, मिजोरम, नागालैंड ( 7 सिस्टर्स )
#सातवी अनुसूची --
केंद्र व राज्यो के मध्य शक्तियो का बंटवारा किया गया है
संघ सूची - 99 विषय
राज्य सूची - 61 विषय
समवर्ती सूची - 52 विषय
#आठवी अनुसूची --
भारत की 22  मान्यता प्राप्त भाषायों का उल्लेख किया गया है
प्रारम्भ में भाषायों की संख्या 14 थी
1967 में सिंधी भाषा, 1992 में कोंकड़ी, मणिपुरी, नेपाली को जोड़ा गया
2003 में जोड़ी जाने वाली भाषा मैथिली, संथाली, बोडो, डोगरी है
#नौवी अनुसूची --
इस अनुसूची को प्रथम संविधान संशोधन 1951 में संविधान में जोड़ा गया था
इसके अंतर्गत राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है
इसमें भूमि सुधार से सम्बंधित नियम बनाये गए हैं
#दशवीं अनुसूची --
इसे 52 वे संविधान संशोधन द्वारा 1985 में जोड़ा गया
इसमें दल-बदल निरोधी प्रावधानो का उल्लेख है
#ग्यारहवी अनुसूची --
इस अनुसूची को 73 वे संविधान संशोधन 1992 के द्वारा संविधान में जोड़ा गया
इस अनुसूची में अनुछेद 243  के तहत पंचायतीराज को संवेधानिक स्तर प्रदान किया गया है
तथा 29 विषय सूचीबद्ध किये गए है
#बारहवी अनुसूची --
इस अनुसूची को 74  वे संविधान संशोधन 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया
यह अनुसूची शहरी निकाय से सम्बंधित है तथा इसे 18 विषय प्रदान किये गए है
 
नोट -
(अ) 1951 - 1952 तक प्रथम संसद के गठन तथा निर्वाचन तक अंतरिम संसद के रूप में संविधान सभा ने ही कार्य किया था
(ब) भारतीय संविधान के निर्माण में महान योगदान देने की वजह से डॉ. भीमराव आंबेडकर को भारत  के संविधान का पिता तथा आधुनिक मनु कहा जाता है