कारगिल की लड़ाई ( Kargil War - A Rapid Story )

1999 के शुरूआती महीनो में भारतीय इलाके की नियंत्रण सीमा रेखा की कई ठिकानो जैसे द्रास, मश्कोह , काकसर, और बटालिक पर अपने को मुजाहिद्दीन बताने वालों ने कब्ज़ा कर लिया । पाकिस्तानी सेना की इसमें मिलीभगत भांप कर भारतीय सेना इस कब्जे की खिलाफ हरकत में आई  इससे दोनों देशों की मध्य संघर्ष छिड़ गया । इसे "कारगिल की लड़ाई" की नाम से जाना जाता है । 1999  की मई - जून में यह लड़ाई जारी रही  26  जुलाई 1999  तक भारत अपने अधिकतर ठिकानो पर पुनः अधिकार कर चुका था ।  कारगिल की लड़ाई ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था  क्योकि इससे ठीक एक साल पहले दोनों देश पमाणु हथियार बनाने की अपील क्षमता का प्रदर्शन कर चुके थे ।   बरहाल, यह लड़ाई सिर्फ कारगिल की इलाके तक ही सीमित रही । पाकिस्तान में इस लड़ाई को लेकर बहुत विवाद मचा,   कहा गया की सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को इस मामले में अँधेरे में रखा था ।  इस लड़ाई के तुरंत बाद पाकिस्तान की हुकूमत पर परवेज मुशर्रफ की अगुवाई में पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण कर लिया ।
युद्ध में इस निर्णायक जीत से देश में उत्शाह की लहर दौड़ गयी । अधिकांश भारतियों ने इसे गौरव की घडी की रूप में देखा और माना की भारत का सैन्य पराक्रम बल प्रबल हुआ है । 1971  की जंग की बाद इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को चार चाँद लग गए । इस युद्ध की बाद अधिकतर राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए और अनेक राज्यों में कांग्रेस पार्टी बहुमत से जीती ।
भारत ने अपने सीमित संसाधनो की साथ नियोजित विकास की शुरुआत की थी । पडोसी देशो के साथ संघर्ष के कारन पंचवर्षीय योजना पटरी से उतर गयी । 1962  के बाद भारत को अपने सीमित संसाधन खासतौर से रक्षा क्षेत्र में लगाने पड़े । भारत को अपने सैन्य ढांचे का आधुनिकीकरण करना पड़ा ।  1962  में रक्षा विभाग और 1965  में रक्षा आपूर्ति विभाग  की स्थापना हुई ।  तीसरी पंचवर्षीय योजना ( 1961  - 1966 ) पर असर  पड़ा और इसके बाद लगातार तीन एक वर्षीय योजना पर अमल हुआ । चौथी पंचवर्षीय योजना 1969 में ही शुरू हो सकी । युद्ध की बाद भारत का रक्षा व्यय बहुत ज्यादा बढ़ गया ।